संवाददाता अजीत सिंह
सोनभद्र। उत्तर प्रदेश की ऊर्जाचंल नगरी सोनभद्र में खनन, क्रशर प्लाटों से उत्पन्न प्रदूषण हो चली गंभीर समस्या से कहीं ज्यादा। शहर के वार्ड 15 रामलीला मैदान के पीछे घनी आबादी वाले क्षेत्रों और महत्वपूर्ण मार्गों के किनारे कचरे का अंबार लगाया जा रहा है। इसी के साथ जानवरों को भी इन जगहों पर फेंका जा रहा है, जिससे शहरवासियों का जीना मुश्किल हो गया है। यह एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। नगर पंचायत द्वारा यह अमानवीय कृत्य न केवल पशु क्रूरता का एक गंभीर उदाहरण है बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए भी एक बड़ा खतरा है। कचरे के ढेर से निकलने वाली दुर्गंध और हानिकारक कीटाणुओं से कई तरह की बीमारियां फैल रही हैं। मृत जानवरों से भी गंभीर बीमारियां फैलने का खतरा रहता है।किसी भी सभ्य समाज में जानवरों के साथ इस तरह का व्यवहार अस्वीकार्य है। नगर पंचायत द्वारा जानवरों को फेंका जाना न केवल पशु क्रूरता का एक गंभीर अपराध है, बल्कि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए भी खतरा बढ़ावा दे रहा है। मजे की बात है कि नगर पंचायतों से लेकर जिले का प्रदूषण नियंत्रण विभाग भी पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए तमाशबीन बना हुआ है। आलम यह है कि यह समस्या दिन-प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है।उत्तर प्रदेश को सर्वाधिक राजस्व देने वाले जिले में प्रदूषण की बढ़ती समस्या न केवल एक गंभीर समस्या बनती जा रही है, बल्कि लोगों की चिंताएं भी बढ़ाती जा रही है।सोनभद्र जिले को ओबरा नगर पंचायत के वार्ड नंबर 15 के वाशिंदे को इन दिनों कूड़े के अंबार से जूझना पड़ रहा है।
कूड़े-कचरे के ढ़ेर से निकलने वाली दुर्गंध से कहीं ज्यादा लोगों को उसमें से उठने वाले धूंए से लोगों को परेशानी बढ़ी है, जिसे नष्ट करने का नगर पंचायतों द्वारा आसान सा तरीका ढूंढ निकाला गया है।वह है कूड़े-कचरे के ढेर में आग लगाकर चलते बनो जिसका खामियाजा आसपास के रहवासियों सहित कई किमी दूर के लोगों को भी भुगतना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि नगर पंचायत पूरे शहर का कचरा इसी वार्ड में लाकर फेंक कर चलते बनता है। जिससे यहां रहने वालों का जीना मुहाल हो गया है। लोगों का कहना है कि कूड़े के ढेर से निकलने वाली दुर्गंध और हानिकारक कीटाणुओं से कई तरह की बीमारियों को बढ़ावा मिल रहा है, मच्छरों का अत्यधिक प्रकोप बढ़ने से लेकर अन्य कीट पतंगों से लेकर मक्खियों का प्रभाव बढ़ा है। कूड़े के ढ़ेर से निकलनी वाली दमघोंटू दुर्गंध के साथ ही साथ प्रदूषण भी बढ़ रहा है। ओबरा नगर सहित आसपास के क्षेत्रों का वातावरण प्रदूषित हो रहा है।
👉गौवंशों के लिए काल बनता कूड़े-कचरे का ढेर एक तरफ प्रदेश सरकार जहां गौशालयों के जरिए गौ संरक्षण पर जोर दे रही है और गौ सुरक्षा के प्रति भी गंभीर बनी हुई है, वहीं दूसरी ओर धर्म का लबादा ओढ़े हुए लोग ही गौ संरक्षण से बेफिक्र बने हुए उन्हें मौत के मुंह में धकेलने का कार्य कर रहे हैं। नगर पंचायत द्वारा खुलें में फेंके जा रहें कूड़े-कचरे के ढ़ेर में गोवंशों का झुंड अपनी भूख मिटाते हुए नजर आते हैं, जो उनके लिए घातक ही नहीं बल्कि जानलेवा भी साबित हो रहें हैं। इसका आभास भले ही इंसानों को ना हो, लेकिन इन बेजुबानों को कुछ दिनों बाद होने लगता है तब तक काफी देर हो चुकी होती है क्योंकि यह बेजुबान अपने दर्द और व्यथा को बता पाने में असमर्थ होते हैं। इस पर रोक लगाने और कूड़े-कचरे को खुले में ना फेंक कर किसी अन्यत्र स्थल पर निस्तारित किए जाने की भी कोई योजना नगर पंचायत द्वारा न किए जाने से सरकार के गौ संरक्षण अभियान को ठेस तो पहुंच ही रहा है। सर्वाधिक नुकसान इन बेजुबानों को हो रहा है, लेकिन इस तरफ कोई भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। बढ़ते प्रदूषण के संबंध में ओबरा के व्यापार मंडल अध्यक्ष सुशील कुमार गोयल एवं सामाजिक कार्यकर्ता विश्व हिंदू महासंघ के नगर अध्यक्ष सर्वेश दुबे कहते हैं कि आहार की खोज में गौवंश अक्सर प्रदूषित कचरा और प्लास्टिक खा लेती हैं जिससे उनकी जान को खतरा होता है। वहीं गाय को माता मानने वाले लोगों की भावनाओं को भी ठेस पहुंच रही है। स्थानीय लोगों ने नगर पंचायत की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या वार्ड नंबर 15 को सिर्फ कूड़े का डंपिंग ग्राउंड बना दिया गया है। जबकि सरकार द्वारा कूड़े निस्तारण के बारे में बिल्कुल साफ़ निर्देश दिया गया है कि खुले में कूड़े, कचरा का निस्तारण न हो, बल्कि उसे शहर से बाहर बंद जगह पर कूड़ेदान की व्यवस्था हो और समय-समय पर उसे निस्तारित करें, लेकिन ऐसा न कर नगर पंचायत मनमानी पूर्ण ढंग से कूड़े-कचरे के ढ़ेर लगाता जा रहा है जहां आग लगाएं जाने से लोगों को दोहरी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों ने नगर पंचायत से इस समस्या का जल्द से जल्द समाधान करते हुए वार्ड को कूड़े से मुक्त कराएं जाते हुए नगर को प्रदूषण मुक्त बनाने पर जोर दिया है।
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